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आर्य और काली छड़ी का रहस्य-35

    

    अध्याय-12
    काली छड़ी का रहस्य
    भाग-2

    ★★★
    
    अभी-अभी आचार्य वर्धन का एक बड़ा हमला हुआ था जिसमें उन्होंने छत पर काले रंग का द्रव पैदा किया था।
    
    छत वाले बड़े हमले के बाद आचार्य वर्धन और भी ज्यादा आक्रामक होने के मूड में थे। उन्होंने हमले के ठीक उपरांत सामने किसी को भी संभलने का दूसरा मौका नहीं दिया। बस पलक झपकते ही अपनी आंखें बंद की और तेजी से दूसरा हमला कर दिया। इस हमले में‌ उन्होंने कुछ काले रंग के गोले सामने की तरफ छोड़े। ‌ सभी गोलों का हमला आचार्य ज्ञरक की तरफ था।
    
    इन गोलों के हमले के बचाव के लिए अचार्य ज्ञरक ने आर्य की तरफ देखा जिसने तेजी से अपनी रोशनी वाली तलवार आने वाले गोलो की आगे कर दी। उसके ऐसा करते ही सभी काले रंग के गोले रोशनी की चमकती हुई तलवार से टकराए और इधर उधर हो गए।
    
    यह देख कर अचार्य वर्धन ने एक और हमला किया मगर इस बार दोगुने जोश के साथ। इस बार उन्होंने 8 काले गोले छोड़े।‌ लेकिन रोशनी की चमकती हुई तलवार पर उनका कोई भी असर नहीं हुआ।
    
    आर्य ने अपने कदमों को गति दी और चलते हुए आचार्य ज्ञरक और आचार्य वर्धन के बीच में आ गया। सामने आचार्य वर्धन ने अपनी आंखें बंद कर ली। वह बड़ा हमला करने के लिए मंत्र बुदबुदा रहे थे। जैसे ही उनके मंत्र बंद हुए उन्होंने छड़ का मुंह आर्य की ओर कर दिया। 
    
    ऐसा करने पर उनकी छड़ से अबकी बार सफेद लहरदार रोशनी बिजली की तरंगों और काली रोशनी के साथ निकली। यह तीन शक्तियों का एक बड़ा हमला था। जैसे ही उनकी काली छड़ से यह हमला निकला वैसे ही आर्य ने एक बार फिर से तलवार सामने की तरफ कर दी।
    
    जबरदस्त हमले का टकराव रोशनी की तलवार के साथ हुआ। टकराव होते ही तलवार पर भारी दबाव पड़ गया जिसका असर आर्य पर देखने को मिला। आर्य का पीछे वाला घुटना जमीन से लग गया, जबकि आगे घुटने को उसने अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए ठीक से जमीन पर जमा दिया। टकराव की वजह से रोशनी वाली तलवार की चमक और ज्यादा बढ़ने लगी। जैसे-जैसे चमक बढ़ रही थी वैसे वैसे आसपास की पूरी जगह पर सफेद रोशनी का कब्जा हो रहा था।
    
    आचार्य ज्ञरक अपनी जगह से थोड़ा पीछे हट गए, क्योंकि कब्जा करने वाली सफेद रोशनी की वजह से उनके शरीर पर जलन हो रही थी। रोशनी अधिक उर्जा वाली थी तो वह जलन पैदा कर रही थी। हिना और आयुध ने भी अपने कदम पीछे खींचे। इसके बावजूद उन्हें गर्मी और तपन महसूस हो रही थी, मजबूरन हिना को अपने शरीर को फिर से नीली रोशनी से चमकाना पड़ा। अपना नीला कवच बनाकर उसने खुद की और अपने भाई की रक्षा की। आचार्य ज्ञरक कुछ देर तो पीछे हटते रहे, मगर जब रोशनी की तपन उनकी बर्दाश्त से भी बाहर हो गई तो उन्होंने भी अपने छड़ का इस्तेमाल कर एक लाल रंग का सुरक्षा कवच बनाया।
    
    हाॅल के बीचोबीच एक भीषण संग्राम जारी था। अचार्य वर्धन ने अपनी ताकत को और बढ़ा दिया, उन्होंने अपने हमले की तीव्रता को दोगुना कर दिया। सामने आर्य की रोशनी वाली तलवार तो पूरी तरह से रोशनी से चमक चुकी थी, लेकिन‌ हमले की तीव्रता बढ़ने से उसका रोशनी वाला प्रभाव और आगे चला गया। तलवार ने खुद के साथ साथ आर्य के हाथ को भी रोशनी से चमकाना शुरू कर दिया। दबाव भी बढ़ रहा था तो आर्य के पैरों पर थोड़ा और जोर पड़ा। भीषण संग्राम और भी ज्यादा भीषण संग्राम में बदल गया। 
    
    सामने अचार्य वर्धन ने अपने हमले को 5 गुना बढ़ा दिया। उनकी छड़ी से निकलने वाली लहरदार तरंगे और भी ज्यादा तीव्र हो गई। इन हमलों को करने के लिए उनके शरीर का भी पूरा जोर लग रहा था। वह खुद को तकलीफ और कष्ट में महसूस कर रहे थे। उनके शरीर के कुछ हिस्सों से खून निकलने लगा था। उनकी आंखे बंद हो गई थी जबकि होठों पर लगातार मंत्र थें। 
    
    वही हमले की तीव्रता बढ़ जाने के कारण आर्य पर भी दबाव बढ़ा और तलवार पर भी। तलवार ने आर्य के हाथों के साथ-साथ उसके बाकी के शरीर को भी पूरी तरह से रोशनी से चमका दिया। वह पूरी तरह से तलवार वाली रोशनी के साथ ही मिलकर रोशनी से चमकने लगा था।
    
    अचार्य ज्ञरक ने यह देखा तो स्तब्ध रह गए। उनकी आंखें आर्य और उसके रोशनी से चमकने वाले शरीर पर केंद्रित हो रही थी। उनके होंठ कांप रहे थे और शरीर में अलग से सुरसुरी दौड़ रही थी। ऐसी अवस्था में उनके मुंह से निकला “यह तो अविश्वसनीय है। यह लड़का, यह लड़का तो वही है जिसका भविष्यवाणी में जिक्र हुआ है। यही है वह लड़का जिसके हाथों शैतान के शहंशाह का खात्मा होगा। यही है वह लड़का जो शैतान के शहंशाह को मारेगा। मुझे यह बात अचार्य वर्धन को बतानी होगी। आचार्य वर्धन जब यह बात सुनेंगे तो अपने इरादे बदल देंगे। हमारे लिए भविष्यवाणी वाला लड़का सबसे बड़ी उम्मीद है।” 
    
    उन्होंने कुछ कहा जिसके बारे में वह आचार्य वर्धन से बात करना चाहते थे। मगर सामने जो भी हो रहा था ऐसे हालातों में उनके पास बात करने के लिए बिल्कुल भी मौका नहीं था। तलवार की भी ताकत बढ़ती जा रही थी और अचार्य वर्धन का भी हमला तेज होता जा रहा था। 
    
    तभी अचानक हमला और तलवार की ताकत दोनों ही अपनी चरम सीमा पर पहुंचे और एक बहुत बड़े धमाके के रूप में बदल गए। इस धमाके में दो अलग-अलग लहरें निकली। एक लहर आचार्य वर्धन से जा टकराई, जिसके तुरंत उपरांत उन्हें जोर का झटका लगा और वह हवा में उछलते हुए पीछे की दीवार से जा भिड़े। टक्कर जबरदस्त थी तो परिणाम भी भयंकर निकले। आचार्य वर्धन दीवार से टकराने के बाद नीचे जा गिरे। दूसरी लहर ने आर्य को झटका दिया था। आर्य झटका लगते ही अपनी जगह से लूढकता हुआ और जमीन पर रगड़ खाता हुआ काफी दूर चला गया था। दोनों की लहरों से टक्कर होने के बाद आसपास का माहौल शांत हो गया। वातावरण में जो तपन थी वह भी कम हो गई। हिना ने अपना कवच हटाया और तेजी से दौड़ते हुई आर्य की तरफ गई। आयुध भी उसके साथ चल पड़ा था। वही अचार्य ज्ञरक किसी नई चीज के बारे में पता चलने के कारण तुरंत आचार्य वर्धन की तरफ भागे थे।
    
    वहां आचार्य ज्ञरक ने आचार्य वर्धन को संभाला। उनके शरीर के काफी हिस्से पर भारी चोट लगी थी, जिसकी वजह से खून निकल रहा था। 
    
    आचार्य ज्ञरक उन्हें संभालते हुए बोले “हमें हमारी समस्या का हल मिल गया। उस समस्या का हल जिसके लिए आप भी फिकरमंद थे। आपने कहा था ना अगर शैतान को रोकने का कोई रास्ता नहीं तो वह अपने मकसद में कामयाब होकर ही रहेगा । तो देखिए जरा... ” वह उन्हें आर्य की तरफ देखने के लिए कह रहे थे “देखिए जरा उस लड़के को। वह लड़का है शैतान को रोकने का रास्ता। वह लड़का है हमारी आखिरी उम्मीद। वह वही लड़का है जिसका जिक्र भविष्यवाणी में हुआ था।”
    
    आचार्य वर्धन आर्य की तरफ देखने लगे। जिस तरह से उनके शरीर के काफी हिस्सों से खून निकल रहा था उसी तरह से आर्य के शरीर के कई हिस्सों से भी खून निकल रहा था। ‌उन्हें आर्य को देखने पर वह एक सामान्य लड़का प्रतीत हुआ। वह अचार्य ज्ञरक से दर्द भरी और कष्टदायक आवाज में बोले “क्या... आखिर क्या... क्या खास है उस लड़के में... मुझे.. मुझे तो वह आम लड़का दिख रहा है।”
    
    “मगर मैंने उस आम लड़के को रोशनी की तलवार की वजह से रोशनी से चमकता हुआ देखा है।” अचार्य ज्ञरक बोले “इसका मतलब समझते हैं आप। शायद आप तो इसे बखूबी समझते होंगे। जब रोशनी की तलवार का निर्माण किया जा रहा था तो क्या कहा गया था, यही कि रोशनी वाली तलवार में कुछ ऐसे मंत्र डाले गए हैं जो अपने विशिष्ट खासियत की वजह से उस लड़के को भी रोशनी से चमका देंगे जिसके लिए भविष्यवाणी हुई है। यानी की रोशनी वाली तलवार उसे भी अपनी ताकत देगी जो शैतान का काल बनकर पैदा हुआ है।”
    
    यह सुनकर आचार्य वर्धन की आंखों में चमक आ गई। वह खुद को उत्साहित महसूस करते हुए बोले “क्या.. क्या आपने सच में उस लड़के को रोशनी से चमकते हुए देखा है।” यह कहकर वह ऊपर छत की तरफ देखने लगे “भगवान तेरा लाख-लाख शुक्र है जो तुमने उसे उम्मीद के तौर पर हमारे पास भेजा। मैं तो कभी इस बात की कल्पना ही नहीं कर सकता था भविष्यवाणी वाला लड़का हमारी ही बिरादरी से होगा। ‌ हमारे ही आश्रम में रहने वाला एक लड़का भविष्यवाणी के तौर पर शैतान को खत्म करेगा।”‌ भगवान का शुक्रिया अदा करके उन्होंने अपने दोनों हाथों को चुम्मा। 
    
    अचार्य ज्ञरक यह सुनकर बोले “हमारे लिए और आपके लिए, इससे बड़ी खुशखबरी और कोई नहीं होगी। उस लड़के की वजह से आप अपना मकसद छोड़ देंगे और हमें भी आप को मारना नहीं पड़ेगा। आप हमारे इस आश्रम की जान नहीं बल्कि पूरा आश्रम ही है। आपके बिना ना तो इस आश्रम को संभाला जा सकता है ना ही इस आश्रम के लोगों को। आप अनमोल है और अमूल्य भी। आपकी कमी पूरी करने वाला यहां आश्रम में कोई भी नहीं।”
    
    यह बात सुनकर आचार्य वर्धन के चेहरे पर खुशी आनी चाहिए थी, मगर वह खुश होने की बजाय हताशा और निराशा से भर गए। ‌ उन्होंने आचार्य ज्ञरक के दाएं हाथ को पकड़ा और रोते हुए बोले “हां यह सच है कि मैं अब अपने इरादे बदल रहा हूं। मैं इस दीवार के पीछे की अंधेरी परछाइयों को नहीं आजाद करने वाला, लेकिन इसके बावजूद आपको मुझे मारना होगा। मेरा जिंदा रहना या मुझे जिंदा रखना सिर्फ आपके लिए नहीं बल्कि इस पूरे आश्रम के लिए खतरा बन जाएगा।”
    
    यह सुनकर आचार्य ज्ञरक चौंक गए। उन्होंने हैरान होते हुए आचार्य वर्धन से कहा “अब यह आप कैसी बातें कर रहे हैं। अब तो सब ठीक हो गया है ना। हमें भविष्यवाणी वाला लड़का मिल गया है और आप अपना इरादा बदल चुके हैं। जब सब सही है तो हम आपको क्यों मारेंगे। हमारे पास ऐसा कोई कारण नहीं जिसकी वजह से हमें आपकी जान लेनी पड़े।”
    
    आचार्य वर्धन की आंखों में आंसू आ रहे थे और वह रो भी रहे थे। आचार्य ज्ञरक के कहने के बाद उन्होंने एक लंबी गहरी सांस ली और एक हल्की नाक सिकोड़ने वाली आवाज के साथ कहा “वो इसलिए... क्योंकि मैंने काली छड़ी के साथ एक सौदा किया है।”
    
    “क्या कहा आपने.. काली छड़ी से सोदा.... आखिर किस तरह का? आपने क्या सौदा किया है? मैं आपकी बातों को ठीक से समझ नहीं पा रहा हूं।”
    
    आचार्य वर्धन ने घोर निराशा के साथ कहा “आप इसे काली छड़ी का अभिशाप समझ सकते हैं। एक ऐसा अभिशाप जो शैतानों के लिए वरदान है मगर हमारे लिए बस एक अभिशाप। ‌ शैतानी ताकतों और मौत से भरा एक अभिशाप। एक ऐसा अजीब सा चक्रव्यूह में फंसा देने वाला गठबंधन जिसे शेतान ने रचा है, ताकि कोई उसके खिलाफ काली छड़ का इस्तेमाल ना कर सके।” इसके बाद वह फिर से रोने लगे और रोते हुए कहा “ इस चक्रव्यूह से निकलने के दो ही रास्ते हैं.... या तो विनाशकारी शैतान बन जाना... या फिर मौत को गले लगा लेना।”
    
    आचार्य ज्ञरक अभी बात की गहराई को समझ नहीं पाए थे, मगर आचार्य वर्धन ने जिन शब्दों का और वाक्यों का इस्तेमाल किया था, उनसे उनका दिल बैठता जा रहा था। आचार्य वर्धन बार-बार मौत शब्द का भी इस्तेमाल कर रहे थे, जो सही मायनों में उनकी बातों का किसी भी तरह से अच्छा नजरिया नहीं पेश कर रही थी। 
    
    आर्य हिना और आयुध भी उनके पास आ चुके थे। उन्होंने भी उस वाक्य को सुना था जब अचार्य वर्धन बोले थे मुझे फिर भी मारना पड़ेगा। आर्य थोड़ा कष्ट महसूस करते हुए बोला “आखिर ऐसी क्या वजह है जो हमें आप को मारना पड़ेगा।”
    
    अचार्य वर्धन शुन्य विहीन हो गए थे। वह खुद में खोते हुए बोले “बताता हूं।”
    
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